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जीवन साथी अपने धर्म का क्यों पसंद नहीं ?

प्रश्न पूछा गया है कि जैन लड़कियां जैन लड़कों से विवाह क्यों नहीं कर रहीं ? या क्यों नहीं करना चाह रहीं हैं ?  अपने अनुभव के आधार पर मैं इस प्रश्न की एक समुचित समीक्षा करना चाहता हूँ ।  अव्वल तो यह कि इस प्रश्न में मैं लड़कियां शब्द के पहले ' कुछ ' जोड़ना चाहता हूं । क्यों कि सभी जैन लड़कियाँ ऐसी नहीं हैं ।  दूसरा उस 'कुछ' में जो आती हैं उनकी मनोदशा की बात भी सोचनी चाहिए । मुझे एक जैन लड़के ने बताया कि जब वह इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ता था तो उसके बैच में और होस्टल में वह अकेला जैन था । पढ़ने में होशियार और सुंदर स्मार्ट भी था । संगीत और स्पोर्ट्स में उसकी खासी उपलब्धियां थीं ।  अच्छे संस्कारी जैन परिवार का होने से वह हॉस्टल से जैन मंदिर बहुत दूर होने के बाद भी रोज न सही वह हर रविवार दर्शन हेतु वहाँ जाता था । दशलक्षण - पर्युषण में तो रोज जाता था । शुद्ध शाकाहारी भोजन करता था और शराब- सिगरेट से वह दूर रहता था।  उसकी इस दृढ़ता के कारण उसके सहपाठी उससे अंदर से तो प्रभावित थे ,किंतु अपनी इस हीन भावना की पूर्ति के लिए वे उसका मज़ाक भी बनाते रहते थे और उसे साधु महात्...

कैसे बचेगा पारंपरिक श्रुत तीर्थों का अस्तित्त्व ?

श्रुत पंचमी पर विशेष -  कैसे बचेगा पारंपरिक श्रुत  तीर्थों का अस्तित्त्व ?  प्रो अनेकान्त कुमार जैन,नई दिल्ली  जो धर्म तीर्थ का प्रवर्तन करते हैं वे तीर्थंकर कहलाते हैं किंतु आज के समय में उस धर्म तीर्थ का  संरक्षण करने वाले  तीर्थंकर प्रकृति का पुण्य कमाने का कार्य करते हैं ।  प्रायः जब तीर्थ की चर्चा करते हैं तो हमारा ध्यान भी मात्र सम्मेदशिखर आदि तीर्थ स्थानों पर ही जाता है किन्तु जैन परंपरा में श्रुत,आगम आदि भी उसी तरह तीर्थ स्वीकार किये गए हैं  । इतना ही नहीं बल्कि आचार्य कुंदकुंद यहाँ तक कहते हैं कि -   जं णिम्मलं सुधम्मं सम्मत्तं संजमं णाणं। तं तित्थजिणमग्गे हवेइ जदि संतिभावेण।। अर्थात् जिनमार्ग में उत्तम क्षमादि धर्म,सम्यक्त्व,संयम और यथार्थ ज्ञान - ये तीर्थ हैं। ये भी जब शांत भाव सहित हों तब निर्मल तीर्थ है। अन्य शास्त्रों में भी कहा है -   श्रुतं गणधरा वा तीर्थमित्युच्यते।-(भगवती आराधना / विजयोदया टीका 302/516/6)  तीर्थमागम:।-(समाधिशतक/ टी./2/222/24  बोधपाहुड/27) आगम और श्रुत भी तीर्थ हैं । आज सम...