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अप्रैल, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

स्वच्छता अभियान और भगवान् महावीर

भगवान् महावीर का स्वच्छता और शुद्धता अभियान प्रो अनेकांत कुमार जैन* वर्तमान में स्वच्छ भारत अभियान आन्दोलन से स्वच्छता ने हमारी भारतीय संस्कृति  के गौरव को पुनः स्थापित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है  | भारतीय समाज में इसी तरह का स्वच्छता अभियान भगवान् महावीर ने ईसा की छठी शताब्दी पूर्व  चलाया  था  | उस अभियान को हम शुद्धता का अभियान कह सकते हैं  | भगवान् महावीर ने दो तरह की शुद्धता की बात कही -1. अन्तरंग शुद्धता 2. बहिरंग शुद्धता  | क्रोध, मान, माया,लोभ ये चार कषाये हैं  | ये आत्मा का मल-कचड़ा  है  | भगवान्महावीर ने मनुष्य में सबसे पहली आवश्यकता इस आंतरिक कचड़े को दूर करने की बतायी | उनका स्पष्ट मानना था की यदि क्रोध, मान, माया, लोभ और इसी तरह की अन्य हिंसा का भाव आत्मा में हैं तो वह अशुद्ध है और ऐसी अवस्था में बाहर से चाहे कितना भी नहाया-धोया जाय, साफ़ कपडे पहने जायें वे सब व्यर्थ हैं, क्यों कि किसी पशु की बलि देने से पहले उसे भी नहलाया-धुलाया जाता है, प...

भगवान् महावीर की भाषा को समझें

महावीर जयंती पर विशेष - भगवान् महावीर की भाषा को समझें प्रो.डॉ अनेकांत कुमार जैन ,नई दिल्ली हम भगवान् महावीर को जानना समझना चाहते हैं किन्तु जब तक हम उनकी भाषा और शैली को नहीं समझेंगे तब तक क्या हम उनके उपदेशों को सही अर्थों में समझ पाएंगे ? भगवान् महावीर ने जो सबसे बड़ी क्रांति की थी वह थी उनकी संवाद शैली | जिस अतीन्द्रिय ज्ञान के माध्यम से उन्होंने आत्मा के सत्य के बहुआयामी स्वरुप को जान लिया था उसे व्याख्यायित करते समय उनके सामने दो समस्याए थीं एक तो सभी लोग संस्कृत नहीं जानते थे और दूसरा इन्द्रिय ,वाणी और शब्दों की सीमित शक्ति वस्तु के परस्पर विरोधी प्रतीत होने वाले बहु आयामी स्वरुप को यथावत् अभिव्यक्त करने में समर्थ नहीं थी | इसके समाधान के लिए उन्होंने सबसे पहले उस समय पूरे भारत की जनभाषा प्राकृत में प्रवचन देना प्रारंभ किया – ‘भगवं च अद्धमागिए भासाए धम्मं आइक्ख’ |उस समय प्राकृतभाषा अनेक रूपों में प्रचलित भाषा थी बाद में सम्राट अशोक ने भी अपने अनेक शिलालेख प्राकृत भाषा में ही लिखवाए |कालिदास,शूद्रक आदि ने अपने नाटकों में प्राकृत भाषा का प्रयोग किया | भाषा वैज्ञानिक इसी...