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Prof Anekant Jain's E-articles and Books

 Prof Anekant Jain's E-articles and Books 

1.An-experiment-with-anekantavada by Anekant Jain:

 https://jainavenue.org/an-experiment-with-anekantavada/

2.Depth-of-non-violence-and-peace by Anekant Jain 

https://jainavenue.org/depth-of-non-violence-and-peace/

3. Dasdhammasaro by Anekant Jain 

 https://jainmandir.org/library/Home/BookDetail?bookId=064065fd-62b3-4ff4-9335-805d652f7a67

4. Acharya Kundkund ka darshnik Vaibhava by  Anekant Jain: https://jainworld.jainworld.com/JWHindi/Books/acharya-kundkund-ka-darshanik-vaibhav-hin-1151.pdf

5. Book by Anekant Jain:

 https://epustakalay.com/writer/47791-anekant-kumar-jain/

6.Kutubminar and Jain temples by Anekant Jain:

  https://drive.google.com/file/d/1ImDVGdrPms74U1d9JIr0ivqaYPtYOiL4/view?usp=sharing


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ये सोने की लंका नहीं सोने की अयोध्या है  प्राचीन अयोध्या नगरी का अज्ञात इतिहास  (This article is for public domain. Any news paper ,Magazine, journal website can publish this article as it is means without any change. pls mention the correct name of the author - Prof Anekant Kumar Jain,New Delhi ) प्राचीन जैन साहित्य में धर्म नगरी अयोध्या का उल्लेख कई बार हुआ है ।जैन महाकवि विमलसूरी(दूसरी शती )प्राकृत भाषा में पउमचरियं लिखकर रामायण के अनसुलझे रहस्य का उद्घाटन करके भगवान् राम के वीतरागी उदात्त और आदर्श चरित का और अयोध्या का वर्णन करते हैं तो   प्रथम शती के आचार्य यतिवृषभ अपने तिलोयपण्णत्ति ग्रंथ में अयोध्या को कई नामों से संबोधित करते हैं ।   जैन साहित्य में राम कथा सम्बन्धी कई अन्य ग्रंथ लिखे गये , जैसे   रविषेण कृत ' पद्मपुराण ' ( संस्कृत) , महाकवि स्वयंभू कृत ' पउमचरिउ ' ( अपभ्रंश) तथा गुणभद्र कृत उत्तर पुराण (संस्कृत)। जैन परम्परा के अनुसार भगवान् राम का मूल नाम ' पद्म ' भी था। हम सभी को प्राकृत में रचित पउमचरिय

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