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सोशल मीडिया संबंधी श्रावकाचार

सोशल मीडिया संबंधी श्रावकाचार

वर्तमान में जितनी तीव्रता से सोशल मीडिया का उपयोग बढ़ा है उससे कहीं ज्यादा तीव्रता से उसका दुरुपयोग भी बढ़ा है । इसलिए अब इससे संबंधित अपराधों के लिए  कानून भी निर्मित हो गए हैं तथा सजाएं भी मिल रही हैं जो कि कुछ वर्षों पहले तक संभव नहीं थी ।

आज यह आवश्यक हो गया है कि सोशल मीडिया पर कानून के साथ साथ सोशल कंट्रोल भी हो । हमें वर्तमान के अनुरूप अपनी प्रासंगिकता स्थापित करनी पड़ती है । 
कॅरोना काल में लॉक डाउन के कारण ज़ूम ,गूगल मीट,जिओ मीट, मीटिंग एप्प आदि का उपयोग उन लोगों ने भी सीखा जिन्हें मोबाइल लैपटॉप छूना भी पसंद न था । यूट्यूब,व्हाट्सएप,फ़ेसबुक,टेलीग्राम,इंस्टाग्राम,ट्विटर आदि जनसंचार के सबसे ज्यादा माध्यम बने हुए हैं ।

मोबाइल सभी के अधिकार और पहुंच में होने से आज इस पर कोई भी व्यक्ति किसी भी विषय पर कैसा भी लिख और लिखवा सकता है । कितने ही विषयों में ऐसा लगता है कि बंदरों के हाथों में उस्तरा लग गया है ।
इसके लिए अब हमें सोशल मीडिया संबंधी श्रावकाचार के नियम स्थापित करने होंगे और उनका कड़ाई से पालन भी करना और करवाना होगा ।अभी आरम्भ में सोशल मीडिया से उत्पन्न होने वाली तमाम धार्मिक और सामाजिक समस्यायों को ध्यान में रखते हुए निम्नलिखित 5 नियमों का सभी श्रावकों को अवश्य पालन करने चाहिए - 

१. मैं मात्र आगम सम्मत पुष्ट और प्रामाणिक ज्ञानवर्धक लेख,कविता,भजन,प्रवचन ,चित्र,वीडियो आदि ही प्रेषित या अग्रसारित करूँगा ।

२.मैं धार्मिक, सामाजिक और व्यक्तिगत झगड़ों को मीडिया पर सार्वजनिक नहीं करूंगा ।

३. मैं किसी भी मुद्दे पर अनावश्यक टीका टिप्पणी नहीं करूंगा और यदि कहीं बहुत आवश्यक हो तो विनम्रता से, भाषा संयम पूर्वक शालीनतापूर्ण कम शब्दों में अपनी बात कहूंगा ।

४. मैं ऐसे अनावश्यक चित्र और वीडिओ न स्वयं बनाऊंगा,न बनवाऊंगा और न अग्रसारित कर उसकी अनुमोदना करूँगा जो हमारे धर्म और समाज की शुद्ध छवि को जरा सा भी दूषित करने वाला हो । 

५. मैं सप्ताह में कम से कम एक दिन सोशल मीडिया संबंधी उपवास रखूंगा और उसे बंद रखूंगा ।

डॉ अनेकान्त

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