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सल्लेखना अपराध नहीं है

भारत में

१.शराब पीना अपराध  नहीं माना जाता |

२.सिगरेट पीना अपराध  नहीं माना जाता |

३.तम्बाकू,गुटखा खाना अपराध नहीं माना जाता |


जबकि ये स्वतः सिद्ध मौत के कुंए हैं |मेडिकल साइंस इन्हें जहर और मौत का द्वार कहता है |क्या  ये  आत्महत्या का प्रयास और गंभीर अपराध नहीं है ?

इसके विपरीत बिडम्बना देखिये कोई साधक ये व्यसन त्याग पूर्वक छोड़ दे और जीवन के अंतिम दिनों में राग-द्वेष भी छोड़ दे ,संयम पूर्वक अन्नादि का भी त्याग करके अपनी आत्मा को और शरीर दोनों को शुद्ध करते हुए समाधि में लीन होकर जीवन के अंत समय तक भगवान् का नाम लेते हुए आनंदित रहना चाहे तो वह अपराध हो गया |

 धन्य है प्रभु !यही है पंचम काल !यही है कलयुग !अब त्याग ,तपस्या की परंपरा भारत जैसे ऋषि मुनि प्रधान देश में भी अपराध घोषित हो जाए तो धर्म कहाँ जाये ?

डॉ अनेकांत कुमार जैन 

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