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सोच बदलेगी तो समाज बदलेगा


प्रोफेशनल होकर कैसे करें धर्म और समाज सेवा ?

आज शिक्षा का विकास बहुत हो गया है .ज्ञान के इस विकास ने रोजगार और समृद्धि के नए द्वार खोल दिए हैं.निश्चित रूप से ज्ञान विज्ञान,आधुनिक संसाधन तथा पैसे से संपन्न नयी पीढ़ी यह भी सोचने लगी है कि जीवन की सभी सफलताओं को प्राप्त करने के बाद हम अपने धर्म संस्कृति और समाज के लिए भी क्या कुछ कर सकते हैं? कई बार समाज के झगडों तथा धार्मिक भ्रष्टाचार की सच्ची झूठी बातों को देख सुन कर ये विचलित हो जाते हैं.क्यों कि इनकी प्रोफेशनल लाइफ में ऐसा भ्रष्टाचार नहीं चलता .फलतः ये दूर भागने लगते है.इसके कारण इन्हें वो बातें भी सीखने को नहीं मिल पाती जिनसे इनका आध्यात्मिक व्यक्तित्व बनता तथा भौतिक दुनिया में जीने का सही तरीका समझ में आता .हम यहाँ कुछ बिन्दुओं पर विचार करेंगे और मैं चाहता हूँ यह एक विचार श्रृंखला बने,आप सभी अपने विचार इस क्षेत्र में फैलाएं .मैं अपने विचारों के शतप्रतिशत प्रायोगिक होने का दावा नहीं करता.मैं चाहता हूँ आप उसमें सुधार करके प्रस्तुत करें .किन्तु सोचें जरूर ,क्यों कि सोचना बंद पड़ा है.सोच बदलेगी तो समाज बदलेगा .

१.चाहे कुछ भी हो हम अपने धर्म दर्शन से सम्बंधित अच्छे लेखकों कि अच्छी सरल किताबे जरूर पढ़े.तथा अपनी कुछ राय बनायें .कोई शंका हो तो sms , e-mail, face book आदि के द्वारा उसका समाधान जरूर प्राप्त करें .

२.जब भी छुट्टी हो किसी तीर्थ ,मंदिर या म्युजियम में जरूर जायें.

३.आप जिस भी क्षेत्र में प्रोफेशनल महारत रखते हैं उसका उपयोग धर्म और संस्कृति की सेवा में जरूर करें ,क्यों कि इस क्षेत्र में मूर्ख, अपरिपक्व और स्वार्थी लोगों कि भरमार है.इसी कारण यह दशा बन जाती है कि आपको ये स्तरहीन और पिछड़े दीखते हैं.

४.पुरानी संस्थाओं को जीवित करें .अपना हुनर वहाँ दिखाएँ.

५.आप जैसे योग्य और समर्पित लोगों कि उपेक्षा के कारण धर्म के क्षेत्र में निकम्मे और धूर्त लोग राज करते हैं.और इस पवित्र आध्यात्मिक क्षेत्र को बदनाम करते हैं.

६.धार्मिक लोगों के अभिशाप से डरें नहीं ,ये मूर्ख इसी डर का व्यवसाय करते हैं.

७.अपने वैज्ञानिक ज्ञान का प्रयोग धर्म कि वास्तविक व्याख्या में करें.

८.अंध विश्वासों में न फसें बल्कि फंसे हुए लोगों को मुक्त करें.

९.धार्मिक भ्रष्टाचार दूर करना नयी पीढ़ी का कर्तव्य है.

१०.विश्वास कीजिये ,मसीहा कभी आसमान से नीचे नहीं उतरते,वो हमारे भीतर हैं.हम उन्हें दबा कर रखते हैं.यह सोच कर कि हमें क्या करना ?

भारत के पढ़े लिखे मूर्खों के कारण ही निर्मल बाबा जैसे पनपते हैं .टी.वी. चैनल अंध विश्वाश को फैलाने में पूरा योगदान देते है.शिक्षा के विकास के बाद भी भारत में अंध विश्वाश के लिए पूरा मार्केट है.निर्मल बाबा जैसों ने बता दिया है कि ज्ञान विज्ञान सब फेल है बस चमत्कार को नमस्कार .आज अगर नयी पीढ़ी इस सोच को नहीं बदलेगी तो कौन बदलेगा ?

डॉ . अनेकान्त कुमार जैन

anekant76@yahoo.co.in

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