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कृत्रिम प्राकृत रचनाएं

कृत्रिम प्राकृत रचनाएं  प्रो अनेकांत कुमार जैन ,नई दिल्ली  प्राकृत भाषा प्राचीन भारत की स्वाभाविक लोक भाषा थी । यही कारण है कि उसमें सहज रसपूर्ण काव्य लिखे गए । साहित्यिक रूपक , मनोरंजक और मूल्यपरक कथाएं ,गूढ़ दार्शनिक सिद्धांत आदि गद्य और पद्य दोनों में रचे गए ।  भारतीय इतिहास के गवाह रूप अभिलेख गढ़े गए ।  कुछ परिवर्तन के साथ  फिर अपभ्रंश का दौर आया ,उसमें भी ऐसी ही रचनाएं हुईं । साथ ही प्राकृत की रचनाएं भी होती रहीं । फिर पुरानी हिंदी का दौर आया । उसमें पहले पद्य साहित्य आया फिर गद्य का विकास हुआ और आज जो कुछ भी हम हिंदी के नाम पर खड़ी बोली या जो कुछ भी बोल सुन रहे हैं ,रचनाएं कर रहे हैं वो स्वाभाविक रूप से वक्त के अनुसार परिवर्तित और संवर्धित होती हुई स्वाभाविक भाषा लोक भाषा के रूप में हमारे प्रयोग में है ।  ये प्राकृत का ही नया रूप है । आज की हमारी स्वाभाविक बोलने की  प्रकृति हमारी बोलचाल की आम भाषा हिंदी आदि ही हैं । ये आज की प्राकृत है ।  अब हमें पुराना साहित्य पढ़ने समझने के लिए जो प्राकृत भाषा में है - पुरानी प्राकृत भाषा,उसकी प्रकृति,उसकी व्य...

जिन धर्म छोड़ना आसान है

*जिन धर्म छोड़ना आसान है* - *डॉ रुचि जैन* .......पर मिलना कठिन है । प्रायः ऐसा होता है कि जो चीज बचपन से ही सुलभ हो उसकी प्राप्ति की दुर्लभता समझना बहुत कठिन हो जाता है ।  यही दशा आज कई जिन धर्म के युवा अनुयायियों की हो रही है ।सोशल मीडिया के कंपैन से प्रभावित होकर उदारता के नाम पर अजैन देवी देवताओं और साधुओं की भक्ति करते मैंने अनेक बेवकूफ आधुनिक युवाओं को देखा है । ये वे हैं जिन्होंने पहले जैन धर्म इसलिए नहीं सीखा क्यों कि धर्म से चिढ़ थी और अब मिथ्यात्व ,पाखंड, राग द्वेष से युक्त देवताओं और साधुओं की भक्ति कर रहे हैं ।  जो प्रश्न ये जैन धर्म से करने की हिम्मत रखते थे , अब वे ही प्रश्न अजैन धर्म से करने की इनकी हिम्मत नहीं है ।  कभी अजैन प्रेमी या प्रेमिकाओं के प्यार के चक्कर में तो कभी गलत संगति के कारण ये अनेक जन्मों के बाद दुर्लभता से प्राप्त महान वैज्ञानिक जैन धर्म और कुल के त्याग करने का दुस्साहस कर रहे हैं और इसी भव में भव सागर से पार होने की नौका मिलने के बाद भी अज्ञानता में उसे त्याग कर  अपने अनंत भवभ्रमण का इंतजाम कर रहे हैं ।  जैन धर्म और कुल का त्याग ...

अभिनव धर्मभूषणयति विरचित न्याय दीपिका

*अभिनव धर्मभूषणयति विरचित न्याय दीपिका*  (जैन न्याय का प्रारंभिक ग्रंथ )  अध्यापक - प्रो अनेकांत कुमार जैन ,नई दिल्ली  जैन न्याय राष्ट्रीय कार्यशाला  प्रायोजक - केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय,नई दिल्ली  आयोजक - जैन अध्ययन केंद्र , धर्म अध्ययन विभाग, सोमैया विद्या विहार विश्वविद्यालय,मुम्बई  6-10 जनवरी 2025  न्याय दीपिका कक्षा 1 https://youtu.be/rs_aJjCSsrE?feature=shared न्याय दीपिका कक्षा 2 https://youtu.be/I-c__uE_oyo?feature=shared न्याय दीपिका कक्षा 3 https://youtu.be/-uK6q5h4roQ?feature=shared न्याय दीपिका कक्षा 4 https://youtu.be/ZsUE9fQzTPg?feature=shared न्याय दीपिका कक्षा 5 https://youtu.be/-apd16d1jxw?feature=shared न्याय दीपिका कक्षा 6 https://youtu.be/lWbe6LJhBjM?feature=shared

आचार्य प्रभाचंद्र विरचित जैन न्याय के अप्रतिम ग्रंथ प्रमेयकमलमार्त्तण्ड का नय परिच्छेद

आचार्य प्रभाचंद्र विरचित जैन न्याय के अप्रतिम ग्रंथ *प्रमेयकमलमार्त्तण्ड* का नय परिच्छेद  अध्यापक - प्रो अनेकांत कुमार जैन ,आचार्य - जैनदर्शन विभाग,श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय,नई दिल्ली प्रायोजक - भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद,नई दिल्ली  आयोजक - पार्श्वनाथ विद्यापीठ,वाराणसी  दिनाँक - 25-26 सितंबर ,2024 नय परिच्छेद - कक्षा 1 https://youtu.be/uFj0tIN3uvY?feature=shared नय परिच्छेद - कक्षा 2 https://youtu.be/HWO5O5vDnQk?feature=shared नय परिच्छेद - कक्षा 3 https://youtu.be/NbtorbHTPdw?feature=shared नय परिच्छेद - कक्षा 4 https://youtu.be/6jH36RBOdHY?feature=shared

प्रवचन की सफलता

प्रवचन की सफलता  प्रवचन की सफलता इस बात में नहीं है कि उसे कितने ज्यादा लोग सुनते हैं ,बल्कि इसमें है कि आप वीतरागता का पोषण और प्रतिपादन कितनी सहिष्णुता और वीतरागता से करते हैं ।           सत्य प्रतिपादन के नाम पर कषाय युक्त शैली में कषायें भड़काने वाले प्रवचन ज्यादा लोकप्रिय और चर्चित हो जाते हैं और वक्ता इस दम्भ में जीता है कि मैं एक श्रेष्ठ वक्ता बन गया क्यों कि मेरे अनुयायी दिन प्रतिदिन बढ़ रहे हैं।         तीव्र कषाय युक्त श्रोताओं को भी उसी रस के वचन भाते हैं और वे उसे प्रवचन कहकर या मानकर स्वयं को धर्मात्मा मानकर धोखे में रखते हैं ।         जो दुनिया सुनना चाहे वो उसे सुनाओ फिर तुम्हें जो चाहिए वो उनसे पाओ - यह बाजारीकरण का मार्ग है । मोक्षमार्ग नहीं । लेकिन आश्चर्य तो तब होता है जब बाजारीकरण का मार्ग मोक्षमार्ग के नाम पर चलता है । - प्रो अनेकांत कुमार जैन,नई दिल्ली

क्या जैन धर्म सनातन है ? #सनातन #जैनधर्म #हिन्दूधर्म

  EDITORIAL                                                                                                                                                                                       णमो जिणाणं   क्या जैनधर्म  सनातन है ?                                                                (This article is for public domain. Any news paper ,Magazine...