'अच्छा है हमारी तरह प्रकृति एकांतवादी नहीं है' कुछ ,कभी भी ,सब कुछ नहीं हो सकता |प्रकृति संतुलन बैठाती रहती है|वह हमारी तरह भावुक और एकान्तवादी नहीं है |हम भावुकता में बहुत जल्दी जीवन के किसी एक पक्ष को सम्पूर्ण जीवन भले ही घोषित करते फिरें पर ऐसा होता नहीं हैं | जैसे हम बहुत भावुकता में आदर्शवादी बन कर यह कह देते है कि १.प्रेम ही जीवन है| २.अहिंसा ही जीवन है | ३. जल ही जीवन है | ४.अध्यात्म ही जीवन है | ५.परोपकार ही जीवन है । ६.संघर्ष ही जीवन है । ७.ध्यान योग ही जीवन है । ८.बदला लेना ही जीवन का लक्ष्य है । ९.मेरा सम्प्रदाय/मत/पक्ष ही जीवन है । १०.मेरा दर्शन ही सही जीवन है । आदि आदि ............. यथार्थ यह है कि ये चाहे कितने भी महत्वपूर्ण क्यूँ न हों किन्तु सब कुछ नहीं हैं | ये जीवन का एक अनिवार्य पक्ष ,सुन्दर पक्ष हो सकता है लेकिन चाहे कुछ भी हो सम्पूर्ण जीवन नहीं हो सकता |इसीलिए कायनात इन्साफ करती है क्यूँ कि हमारी तरह वह सत्य की बहुआयामिता का अपलाप नहीं कर सकती | इसीलिए विश्व के इतिहास में दुनिया के किसी भी धर्म को कायनात उसकी कुछ एक विशेषताओं के कारण एक बार उसे छा जाने क...