आज अभी colors TV पर ‘ओ माई गाड’ फिल्म देखी|मेरा बस चलता तो मैं
यह फिल्म दुनिया के सभी धर्माचार्यों को दिखाता|भगवान पर बनी अब तक की सभी फिल्मों
में अलग |यह एक संयोग ही लगा कि इसमें भगवान के नाम पर चल रहे पाखंडों की धज्जियाँ
उड़ाने वाले किरदार का नाम कांजी भाई(गुजराती ) था जिसे अभिनय में कुशल ‘परेश रावल’
ने बखूबी निभाया | कांजी भाई नाम के ही एक सदाचारी स्वाध्यायी व्यक्ति ने सोनगढ़ (गुजरात)
से धार्मिक पाखंडों के खिलाफ एक महान क्रांति की थी | बाद उनके भक्त भी उन्हें ही
भगवान मानने लग गए जैसा कि फ़िल्म में भी दर्शाया गया है | 3/2/2013
युवा पीढ़ी को धर्म से कैसे जोड़ा जाय ? प्रो अनेकांत कुमार जैन , नई दिल्ली युवावस्था जीवन की स्वर्णिम अवस्था है , बाल सुलभ चपलता और वृद्धत्व की अक्षमता - इन दो तटों के बीच में युवावस्था वह प्रवाह है , जो कभी तूफ़ान की भांति और कभी सहजता से बहता रहता है । इस अवस्था में चिन्तन के स्रोत खुल जाते हैं , विवेक जागृत हो जाता है और कर्मशक्ति निखार पा लेती है। जिस देश की तरुण पीढ़ी जितनी सक्षम होती है , वह देश उतना ही सक्षम बन जाता है। जो व्यक्ति या समाज जितना अधिक सक्षम होता है। उस पर उतनी ही अधिक जिम्मेदारियाँ आती हैं। जिम्मेदारियों का निर्वाह वही करता है जो दायित्वनिष्ठ होता है। समाज के भविष्य का समग्र दायित्व युवापीढ़ी पर आने वाला है इसलिए दायित्व - ...
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Bahubali Jain