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जैन विश्वविद्यालय क्यों और कैसे ? एक परिकल्पना - प्रो अनेकान्त जैन

टिप्पणियाँ

Prof Anekant Kumar Jain ने कहा…
आपके विचार आमंत्रित हैं
Dr. Sudha Jain, Advocate ने कहा…
The scriptures analysis and research are basic requirement of any cardinal principles. I our relegian is very much rooted with Shrut writings and requred to spread the concept of the Jainism.
In these context eashtablishment of International Jain University will certainly a mile stone of study in length .
AS we have itself own resources to lead in this way and certainly able to achieve the goal then administrative authorities will also forward in this regard. Be march with the blessings of Our Guru and Acharyas.......

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