नंगेपन को आधुनिकता और दिगम्बरत्व को अश्लीलता समझने की भूल में भारतीय समाज प्रो.डॉ अनेकांत कुमार जैन ,नई दिल्ली दिगंबर जैन सम्प्रदाय के परम आराध्य जिनेन्द्र देव या तीर्थंकरों की खड्गासन मुद्रा में निर्वस्त्र और नग्न प्रतिमाओं को लेकर तथा दिगम्बर जैन मुनियों के नग्न विहार पर खासे संवाद और विवाद होते रहते हैं | नग्नता को अश्लीलता के परिप्रेक्ष्य में भी देखकर पीके जैसी फिल्मों में इसे मनोविनोद के केंद्र भी बनाने जैसे प्रयास होते रहते हैं | आये दिन आज के शिक्षित और ज्ञान युक्त विकसित समाज के बीच भी त्याग तपस्या की मूर्ति स्वरूप दिगम्बर जैन मुनि जब सम्पूर्ण भारत में नंगे पैर पैदल बिहार करके जगत को अध्यात्म, अहिंसा ,शांति और भाई चारे का संदेश देते हैं तब कई बार असामाजिक तत्त्व उन्हें अपमानित करने और कष्ट पहुंचाने का कार्य करके अपने अज्ञान का और अशिष्टता का परिचय देते रहते हैं । दिगम्बर साधना के पीछे,दिगंबर जैन मूर्तियों के पीछे जो दर्शन है ,जो अवधारणा है उसे समझे बिना ही अनेक अज्ञानी लोग कुछ भी कथन करने से पीछे नहीं रहते | इस विषय को आज के विकृत समाज को समझाना असं...