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प्रवचन की सफलता

प्रवचन की सफलता  प्रवचन की सफलता इस बात में नहीं है कि उसे कितने ज्यादा लोग सुनते हैं ,बल्कि इसमें है कि आप वीतरागता का पोषण और प्रतिपादन कितनी सहिष्णुता और वीतरागता से करते हैं ।           सत्य प्रतिपादन के नाम पर कषाय युक्त शैली में कषायें भड़काने वाले प्रवचन ज्यादा लोकप्रिय और चर्चित हो जाते हैं और वक्ता इस दम्भ में जीता है कि मैं एक श्रेष्ठ वक्ता बन गया क्यों कि मेरे अनुयायी दिन प्रतिदिन बढ़ रहे हैं।         तीव्र कषाय युक्त श्रोताओं को भी उसी रस के वचन भाते हैं और वे उसे प्रवचन कहकर या मानकर स्वयं को धर्मात्मा मानकर धोखे में रखते हैं ।         जो दुनिया सुनना चाहे वो उसे सुनाओ फिर तुम्हें जो चाहिए वो उनसे पाओ - यह बाजारीकरण का मार्ग है । मोक्षमार्ग नहीं । लेकिन आश्चर्य तो तब होता है जब बाजारीकरण का मार्ग मोक्षमार्ग के नाम पर चलता है । - प्रो अनेकांत कुमार जैन,नई दिल्ली
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क्या जैन धर्म सनातन है ? #सनातन #जैनधर्म #हिन्दूधर्म

  EDITORIAL                                                                                                                                                                                       णमो जिणाणं   क्या जैनधर्म  सनातन है ?                                                                (This article is for public domain. Any news paper ,Magazine...